नमामि गंगे परियोजना

नमामि गंगे परियोजना का उद्देश्य गंगा संरक्षण के लिये चल रही योजनाओं,इसकी धारा को अविरल एवं निर्मल बनाए रखने के प्रयासों एवं उद्देश्यों को मजबूत करना है।
अगले पाँच साल में भारत सरकार परियोजना पर         "20 हजार करोड़"        खर्च करेगी।
इस परियोजना की शुरुआत वर्ष 2014 में की गई थी।

सरकार परियोजना के अंतर्गत गंगा की सफाई हेतु स्थानीय समुदाय की भागीदारी पर भी जोर दे रही है जिस से बेहतर नतीजे हासिल किये जा सके।इसके अंतर्गत स्थानीय शहरी व ग्रामीण निकाय को भी सम्मिलित किया गया है।
इस कार्यक्रम का क्रियान्वयन राज्य कार्यक्रम प्रबंधन समूह के द्वारा किया जाएगा।

इस परियोजना को बेहतर तरीके से लागू करने हेतु त्रिस्तरीय व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव है।


(i) राष्ट्रिय स्तर पर कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति

(ii) राज्य स्तर पर मुख्य समिति की अध्यक्षता वाली समिति

(iii) जिला अधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तर पर समिति


इस परियोजना को पूरा करने हेतु सम्पूर्ण वित्त राज्य सरकार के द्वारा मुहैया कराया जाएगा।अधिक प्रदूषित स्थानों को साफ करने के लिये सरकार निजी-भागीदारी पर भी जोर है।
इस परियोजना के अंतर्गत सरकार नदी में प्रवाहित होने वाली अपशिष्ट जल को शोधित करने एवं इसके प्रवाह को रोकने पर जोर देगी।इसके लिये नई तकनीक को बढ़ावा दिया जाएगा।

इस परियोजना से नदी के जल पर निर्भर आबादी के स्वास्थ्य का स्तर सुधरेगा साथ ही अनेक सामाजिक-आर्थिक लाभ भी देखने को मिलेगा।योजना के सफल होने पर यह अन्य नदियों के लिये भी लागू किया जाएगा।

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