गंगा की सफाई (Ganga Cleaning)
गंगा बेसिन 1 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्रों में फैला हुआ है,जिसमे भारत (कुल बेसिन क्षेत्र का 80%) और बांग्लादेश के कुछ हिस्से शामिल है।मुख्य चैनल की लंबाई 2525 किलोमीटर है।गंगा नदी भारत एवं बांग्लादेश में तटीय डेल्टा भी बनाती है।इस बेसिन से भारत की एक-चौथाई भूमि ढकी हुई है,हालाँकि नदी का वार्षिक प्रवाह स्थानीय शासन रूपांतरों के अधीन है लेकिन इसका प्रभावी पैटर्न जनवरी से मई तक के मौसम में शुष्क प्रवाह वाला होता है।गंगा नदी में जुलाई और अगस्त में शिखर प्रवाह होता है।
गंगा का जल दुनिया भर में उच्चतम तलछट (Sediments) भार ढोता है जो अमेजन नदी की तुलना में 0.4 अरब टन से वार्षिक 1.6 अरब टन कुल भार ढोता है।
नदी का महत्व (Importance Of The River)
गंगा बेसिन प्रति वर्ग किलोमीटर 550 से अधिक व्यक्तियों के औसत घनत्व के साथ 450 मिलियन लोगों के लिये घर प्रदान करने वाली सबसे अधिक आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है।डेल्टा क्षेत्र में यह घनत्व बढ़ कर प्रति वर्ग किलोमीटर 900 व्यक्तियों से अधिक बढ़ जाता है।परिणामतः वहाँ प्राकृतिक संसाधनों की मांग और मजबूत प्रतिस्पर्धा बढ़ जाती है।विशेष रूप से घरेलू उपयोग और सिंचाई के लिये जल की मांग और कई बेसिन सहायक नदियों के बैराज (Barrages) द्वारा विनियमित होते हैं।मत्स्य पालन इस नदी के साथ आर्थिक मूल्य लिए हुए है।उनके उत्पादन क्षेत्रीय पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं के लिये प्रमुख योगदान करते हैं।
भारत जैसे देश में गंगा जैसी नदी का बहुत अधिक महत्व है।पीने के पानी से लेकर सिंचाई की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति नदियों द्वारा की जाती है।गंगा एक सम्प्रभुत्व पशु वर्ग और वनस्पति एवं खतरे में आई डॉल्फिन और जलीय स्तनपायी की अन्य प्रजातियों का समर्थन करती है।गंगा नदी में भारत में कहीं भी सबसे अधिक मीठे जल की मछलियाँ हैं।
गंगा नदी पर खतरे (Threats To The River)
एक जीवित प्रणाली के रूप में गंगा के निरंतर कार्य महत्वपूर्ण स्तर पर,मानव आबादी के कारण खतरे उतपन्न हो गया है।प्रमुख कारक में निम्न शामिल है :
(i) आवासीय परिवर्तन
(ii) विदेशी प्रजातियों का आना
(iii) वाणिज्यिक दोहन
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