चिपको आंदोलन,1973 (Chipko Movement,1973)

यह आंदोलन उत्तराखण्ड के चमोली जिले में 1973 ई. में शुरू किया गया था।
आंदोलन के प्रणेताओं में सुंदरलाल बहुगुणा,गौरा देवी एवं चंडी प्रसाद भट्ट प्रमुख थे।
यह आंदोलन वनोन्मूलन के विरोध में शुरू किया गया था।वनोन्मूलन का तात्पर्य है वनों की कटाई।
आंदोलन की शुरुआत गढ़वाल क्षेत्र में हुई थी लेकिन कालांतर में यह प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में फैल गया
चिपको आंदोलन के अंतर्गत वनों की कटाई का विरोध शांतिपूर्ण आंदोलन द्वारा किया गया था।

इस आंदोलन में लोग जब पेड़ काटने वाले को पेड़ काटते देखकर पेड़ से चिपक जाते थे,जिससे पेड़ को काटना मुश्किल हो जाता था इसलिए इस आंदोलन को चिपको आंदोलन कहा जाता है।

इस आंदोलन की प्रमुख विशेषताओं में से एक विशेषता यह भी थी कि इसमें बड़ी संख्या में महिलाओं की भागीदारी थी।आंदोलन के प्रमुख प्रणेताओं में से एक सुंदरलाल बहुगुणा ने आंदोलन के प्रसार हेतु हिमालयी क्षेत्र में 5000 किलोमीटर से अधिक की पदयात्रा की थी।
आंदोलन की शुरुआत ग्रामीण स्तर पर गौरा देवी द्वारा हुई थी।
गोविन्द सिंह रावत,धूम सिंह नेगी,सुदेशा देवी,बचनी देवी आदि ने भी आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया ।
सुंदरलाल बहुगुणा को 2009 में "पदम् विभूषण" से सम्मानित किया गया एवं चंडी प्रसाद भट्ट को 1982 में "रेमन मैग्सेसे पुरुस्कार" से सम्मानित किया गया था।

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