जैविक खेती क्या है? (What Is Organic Farming?)


भारत एक कृषि प्रधान देश है तथा कृषि देश की अर्थव्यवस्था का प्रमुख साधन है।भोजन मनुष्य की मूलभूत आवश्यकता और अन्न से ही जीवन है।रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों का कृषि में उपयोग भूमि को मृत माध्यम मान कर किया गया है।अतः भूमि के स्वास्थ्य की रक्षा करके ऐसी खेती जिसमे भूमि को एक जीवित माध्यम माना जाए अपनाने की आवश्यकता है क्योंकि मृदा में असंख्य जीव रहते हैं जो एक-दूसरे के पूरक होते हैं तथा पौधे के बढ़वार हेतु पोषक तत्व भी उपलब्ध करवाते हैं।

जैविक खेती क्या है : 

जैविक खेती एक ऐसी पध्दति है जिसमें रासायनिक उर्वरकों,कीटनाशकों तथा खरपतवारनाशियों के स्थान पर जीवांश खाद,पोशक तत्वों (गोबर की खाद,कम्पोस्ट,हरी खाद,जीवाणु कल्चर,जैविक खाद इत्यादि) जैवनाशियों (बायो-पेस्टीसाइड) व बायो एजेंट,  जैसे--- क्राइसोपा इत्यादि का उपयोग किया जाता है,जिससे न केवल भूमि की उर्वरा शक्ति लम्बे समय तक बनी रहती है बल्कि पर्यावरण भी प्रदूषित नही होता है।इससे कृषि लागत घटने व उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ने से कृषक को अधिक लाभ होता है।

जैविक खेती के सिध्दान्त :

(i)  मृदा प्रकृति की अनमोल धरोहर होती है
(ii) प्रत्येक जीव के लिए मृदा ही स्त्रोत है
(iii) हमे मृदा को पोषण देना है ना कि पौधे को जिसे हम उगाना चाहते हैं
(iv) ऊर्जा प्राप्त करने वाली लागत में पूर्ण स्वतंत्रता
(v) पारिस्थितिकी का पुर्नउध्दार


जैविक खेती का उद्देश्य :

जैविक खेती करने का उद्देश्य यह है कि रासायनिक उर्वरकों का उपयोग न हो तथा इसके स्थान पर जैविक उत्पाद का उपयोग अधिक से अधिक हो ।
जैविक खेती का प्रारूप निम्नलिखित प्रमुख क्रियाओं को क्रियान्वित करने से प्राप्त किया जा सकता है।
(i) कार्बनिक खादों का उपयोग
(ii) जीवाणु खादों का उपयोग
(iii) फसल अवशेषों का उचित उपयोग 
(iv) जैविक तरीको द्वारा कीट व रोग नियंत्रण
(v) फसल चक्र में दलहनी फसलों को अपनाना
(vi) मृदा संरक्षण क्रिया अपनाना

जैविक खेती का महत्व :

जैविक खेती करने के निम्नांकित महत्व है------/
(i) भूमि की उर्वरा शक्ति में वृध्दि
(ii) प्रदूषण रहित खेती
(iii) कम जल की आवश्यकता
(iv) पशुओं का अधिक महत्व
(v) फसल अवशेषों को खपाने की आवश्यकता नही
(vi) अच्छी गुणवत्ता की पैदावार
(vii) कृषि मित्र जीव की सुरक्षा एवं संख्या में वृध्दि
(viii) स्वास्थ्य में सुधार
(ix) कम लागत
(x) अधिक लाभ

जैविक खेती के मार्ग में बाधाएं :

1. भूमि संसाधनों को जैविक खेती से रासायनिक में बदलने में समय कम लगना जबकि रासायनिक खेती से जैविक खेती में बदलने में अधिक समय लगना
2. शुरुआती समय में उत्पादन में कुछ कमी आना
3. रासायनिक खेती ने मृदा के सूक्ष्मजीवों को नष्ट कर दिया है अतः उनके पुनर्निर्माण में 3-4 वर्षों का समय लगना

मानव जीवन के सर्वांगीण विकास के लिये नितांत आवश्यक है कि प्राक़ृतिक संसाधन दूषित न हो,वातावरण शुद्ध रहे एवं पौष्टिक आहार मिलता रहे। इसके लिये जैविक खेती को अपनाना होगा।
हमारे देश में भारत सरकार विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से जैविक कृषि को बढ़ावा दे रही है,   जैसे-----
1. जैविक खेती पर राष्ट्रीय परियोजना (National Project On Organic Farming)
2. राष्ट्रिय बागबानी मिशन (National  Horticulture Mission)
3. उत्तर-पूर्व एवं हिमालयी राज्यों के लिए बागबानी (Horticultural Mission For North-East And Himalayan State)
4. मृदा स्वास्थ्य एवं प्रजनन के प्रबंधन पर राष्ट्रिय परियोजना (National Project On Management Of Soil Health And Fertility)
5. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (National Agriculture Development Scheme)
6. राष्ट्रिय कृषि अनुसंधान परिषद के जैविक खेती पर नेटवर्क परियोजना (Network Project On Organic Farming Of Indian Council Of Agricultural Research)

नोट : वर्तमान में सिक्किम भारत में एकमात्र ऐसा राज्य है जो पूर्ण रूप से जैविक कृषि अपनाने की राह पर है।

जैविक खाद :

भारत में शताब्दियों से गोबर की खाद,कम्पोस्ट,हरी खाद एवं जैविक खाद का उपयोग विभिन्न फसलों में उत्पादकता बढ़ाने में किया जाता है।जैविक कृषि में जैविक खाद का उपयोग अतिआवश्यक है क्योंकि जैविक कृषि में रासायनिक खाद का उपयोग वर्जित है।

जैविक खाद तैयार करने की विधि : 

1. जैविक खाद बनाने के लिये पौधों के अवशेष,गोबर,जानवरों का बचा हुआ चारा इत्यादि का उपयोग किया जाना चाहिये।
2. जैविक खाद बनाने के लिये 10 फीट लम्बा, 4 फीट चौड़ा एवं 3 फीट गहरा गड्ढा करना चाहिये।सारे जैविक पदार्थ को अच्छे से मिलाकर गड्ढे को अच्छी तरह से भर कर जल डाल कर ढक देना चाहिये।
3. पदार्थों को गड्ढे में 30 दिनों पर पलटना चाहिये और उचित मात्रा में पानी डाल देना चाहिये जिससे नमी कम न हो।
4. इस तरह यह खाद 3 से 4 महीने में बनकर तैयार हो जाएगा।




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